5 Essential Elements For baglamukhi sadhna



प्रस्तुत ‘श्रीबगला-मुखी-शत्रु-विनाशक-कवचम् की महिमा नाम से ही स्पष्ट है ।इस ‘कवच’ के ऋषि स्वयं भगवान् शिव हैं और इसके स्मरण-मात्र से शत्रु गण स्तम्भित हो जाते हैं। आन्तरिक शत्रुओं (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहङ्कार आदि) के शमन हेतु यह ‘कवच’ विशेष रूप से उपयोगी है।

जो साधक अपने इष्ट देवता का निष्काम भाव से अर्चन करता है और लगातार उसके मंत्र का जप करता हुआ उसी का चिन्तन करता रहता है, तो उसके जितने भी सांसारिक कार्य हैं उन सबका भार मां स्वयं ही उठाती हैं और अन्ततः मोक्ष भी प्रदान करती हैं। यदि आप उनसे पुत्रवत् प्रेम करते हैं तो वे मां के रूप में वात्सल्यमयी होकर आपकी प्रत्येक कामना को उसी प्रकार पूर्ण करती हैं जिस प्रकार एक गाय अपने बछड़े के मोह में कुछ भी करने को तत्पर हो जाती है। अतः सभी साधकों को मेरा निर्देष भी है और उनको परामर्ष भी कि वे साधना चाहे जो भी करें, निष्काम भाव से करें। निष्काम भाव वाले साधक को कभी भी महाभय नहीं सताता। ऐसे साधक के समस्त सांसारिक और पारलौकिक समस्त कार्य स्वयं ही सिद्ध होने लगते हैं उसकी कोई भी किसी भी प्रकार की अभिलाषा अपूर्ण नहीं रहती ।

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४१. ॐ ह्लीं श्रीं मं श्रीकीलिन्यै नमः – जठरे (पेट में) ।

कम्बु-कण्ठीं सु-ताम्रोष्ठीं, मद-विह्वल-चेतसाम् ।

॥ श्रीविश्व-सारोद्धार-तन्त्रे श्रीबगला- मुखी-विश्व-विजय-कवचम् ।।

सौवर्णासन-संस्थितां , त्रि-नयनां पीतांशुकोल्लासिनीम् ।

“स्वतन्त्र तन्त्र’ में भगवान् शङ्कर, पार्वती जी से कहते हैं कि ‘हे देवि! श्रीबगला विद्या के आविर्भाव को कहता हूँ। पहले कृत-युग में सारे जगत् का नाश करनेवाला वात-क्षोभ (तूफान) उपस्थित हुआ। उसे देखकर जगत् की रक्षा में नियुक्त भगवान् विष्णु चिन्ता-परायण हुए। उन्होंने सौराष्ट्र देश में ‘हरिद्रा सरोवर’ के समीप तपस्या कर श्रीमहा-त्रिपुर-सुन्दरी भगवती को प्रसन्न किया। श्री श्रीविद्या ने ही बगला-रूप से प्रकट होकर समस्त तूफान को निवृत्त किया। त्रैलोक्य-स्तम्भिनी ब्रह्मास्त्र बगला महा-विद्या श्री श्रीविद्या एवं वैष्णव-तेज से युक्त हुई।

३. श्रीजम्भिन्यै नमः दुष्टों या दुवृत्तियों को कुतर-कुतर कर टुकड़े करनेवाली को नमस्कार

Upon getting initiation from the Guru, the disciple starts to obtain have the feeling of divine electric power. The word deeksha is created up of two letters di and ksha. Di usually means to provide and Ksh signifies to destroy (destroy). Initiation leads to enlightenment and the lack of all sins.

ऋषि श्रीकालाग्नि-रुद्र द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

५. श्रीअचलायै नमः ‘पृथ्वी’ , ‘ब्रह्म-शक्ति’ को नमस्कार ।

श्रीबगला baglamukhi sadhna विद्या का बीज पार्थिव है-‘बीजं स्मेरत् पार्थिवम्’ तथा बीज-कोश में इसे ही ‘प्रतिष्ठा कला’ भी कहते हैं।

२१. ॐ ह्लीं श्रीं ङं श्रीभगिन्यै नमः -दक्ष-करांगुल्यग्रे (दाएँ हाथ की अँगुलियों के अग्र भाग में)।

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